रंज दिल से, आँखों में उतर आया,
तेरा चेहरा, कुछ और ही नज़र आया.
ता उम्र, आहट का इंतज़ार किया,
आज भी तू, दबे पांव मेरे घर आया.
तुझे भूलने की, कोशिशें तमाम जारी हैं,
तू मुझे भूल गया है, ये ख़बर आया.
तुझे मंजिल तेरी, मुबारक हो,
मेरे नसीब में, तन्हाई भरा सफ़र आया.
राघवेश रंजन
आपने शुरू भी कर दिया।
जवाब देंहटाएंVery fast...!
यानि कि अब आपको पढ़ा जा सकता है.....
शायद जाना भी.....
अनुजा