मंगलवार, 17 जुलाई 2018

कहने दो

तुम उस राज़ को राज़ रहने दो
जो कह न पाया आज कहने दो

मैं खुद को ही बहलता रहा हूँ
दिल में क्या क्या है आज समझने दो

किसी सन्नाटे से बेहतर नहीं है ज़िन्दगी
मुझे खुद की आवाज़ सुनने दो

उछली, मचलती, बहती हुई खुशियां
आज अरमानों को परवाज़ चढ़ने दो

मोम की तरह पिघलती हुई रौशनी
मुझे अपनी तरफ कई बार बढ़ने दो

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