आज कल खुश नहीं रहता हूँ।
खामोश हूँ, कुछ नहीं कहता हूँ।
धीरे धीरे मुहब्बत जवाँ होती है,
बेसब्र हूँ पर इन्तज़ार करता हूँ।
नज़र तेरी अब नज़रअंदाज़ करती हैं,
वक़्त बदलेग, इसलिए सब्र रखता हूँ।
तू पत्थर है, तो पत्थर ही सही,
मैं हूँ फौलाद, पत्थर तराशता रहता हूँ।
खामोश हूँ, कुछ नहीं कहता हूँ।
धीरे धीरे मुहब्बत जवाँ होती है,
बेसब्र हूँ पर इन्तज़ार करता हूँ।
नज़र तेरी अब नज़रअंदाज़ करती हैं,
वक़्त बदलेग, इसलिए सब्र रखता हूँ।
तू पत्थर है, तो पत्थर ही सही,
मैं हूँ फौलाद, पत्थर तराशता रहता हूँ।
Bahut khubsurat Bhai...last 2 lines mein kafi gehrai hai
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